करना कैसा है ?
अमल का दारोमदार नियत पर है और हर शख्स को वही मिलता है जिसकी वो नियत करे !
{सही बुखारी शरीफ-हदीस न..5070}
तो अगर आप किसी आयत या दीनी massege को Delete करते हो तो आपकी नियत गलत नहीं होती इसलिए गुनाह नहीं होगा !!
♻अगर इस बात को देखा जाये तो यहाँ भी डिलीट या मिटाने का सिस्टम है तो इस हिसाब से मदरसे को भी बंद कर देना चाहिए !
बल्कि कुरआन की आयते मिटा देने का मतलब ये है कि तुम उसे पढ़ोगे फिर भी उस पर अमल नही करोगे।
♻
आमीन!!