Hanafi bhai Jarur Padhen...

अस्सलामुअलैकुम ।

अगर हमारे हन्फ़ी भाई अपनी फ़िक़्हा की मुअत्तबर किताबों के हिसाब से अपनी नमाज़ें पढ़ना शुरू कर दें तो कम से कम हमारी और आपकी नमाज़े तो एक सी हो जाएंगी जो आज के इस दौर में बाहमी इत्तेहाद की एक मिसाल बन जाएगी।

कुछ मसाइल फ़िक़्हा ए हन्फ़ी की अहम किताबों से मुलाहिज़ा फ़रमाएं👇👇

(1).नियत ज़बान से करना बिदअ़त है।
📚दुर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 49
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर 22

🌹नियत दिल के इरादे को कहते हैं न कि ज़बान से बोलने को।
📚दुर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 34, 48 और 192 
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर 22
📚बहश्ती ज़ेवर: जिल्द नम्बर: 2
सफ़ाह नम्बर: 30

🌹नियत ज़बान से करना सहाबा और ताबईन से मनक़ूल नहीं।
📚दूर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 59

(2).गर्दन का मसाह करना बिदअत है और इसकी हदीस मौज़ूअ़ है।
📚दूर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 58
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर:18

(3).सहीह हदीस से अज़ान के कलिमे दो-दो बार और तकबीर के एक'एक बार हैं।
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 87

🌹नमाज़ के लिए सलात कहकर (सिवा अज़ान के) बुलाना बिदअ़त है।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 300
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 149

(4). क़याम फ़र्ज़ है।
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 91
📚क़ुदूरी: सफ़ाह नम्बर: 22

(5).नाफ़ के नीचे हाथ बांधने की हदीस अयम्मा मुहद्दिसीन के नज़दीक ज़ईफ़ है।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 350

🌹नाफ़ के नीचे हाथ बांधने की हदीस मरफ़ूअ़ नहीं है, वह क़ौल ए उमर (रज़िअल्लाहुतआला अनहु) है और ज़ईफ़ है।
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 93

(6).सीने पर हाथ बांधने की हदीस क़वी है।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 350
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 93

🌹हज़रत मीरज़ा मज़हर जान जानां (रहमतुल्लाह अलैहि) मुजद्दिदी हन्फ़ी सीने पर हाथ बांधने की हदीस को बा सबब क़वी होने की तरजीह देते थे।और ख़ुद सीने पर हाथ बांधते थे।
📚मुक़दमा हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 111 और 351

(7).इमाम के पीछे सूरह फ़ातिहा न पढ़ने की अहादीस ज़ईफ़ हैं।
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 108 और 109

🌹मुक़तदी सूरह फ़ातिहा को दिल में पढ़ ले और यह हक़ है।
📚हिदाया: जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 440

(8).अहादीस आमीन बिल जहर के सबूत में
📚हिदाया: जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 365
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 97

🌹मुक़तदी इमाम की आमीन सुनकर आमीन कहें।
📚दूर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 229

🌹एक दो आदमियों ने सुना तो जह्र न होगा जह्र जब है कि सब सुनें।
📚दूर्रेमुख़्तार जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 249

🌹इब्ने हम्माम ने आहिस्ता आमीन वाली हदीस को ज़ईफ़ कहकर यह फ़ैसला किया कि आमीन दरमियानी आवाज़ से होनी चाहिए।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 363

(9).तस्दीक़ ए अहादीस रफ़ुल यदैन रुकू से पहले और रुकू के बाद।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 384
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 102 और 103

🌹रफ़ुल यदैन न करने की अहादीस ज़ईफ़ हैं।
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 102

🌹रफ़ुल यदैन करने की हदीसें ब निसबत न करने के ज़्यादा क़वी हैं।
📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 389

🌹हक़ यह है कि मुहम्मद (ﷺ) से रफ़ुल यदैन सहीह साबित है।
हिदाया जिल्द नम्बर: 1
📚सफ़ाह नम्बर : 386

🌹इमाम अबु हनीफ़ा (रहमतुल्लाह अलैहि) के शागिर्द असाम इब्ने यूसुफ़ रफ़ुल यदैन करते थे।
📚मुक़दमा आलमगीरी: जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 50

(10).अत्तहय्यात में मुट्ठी बांधकर उंगली उठाएं।

📚हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर: 391
📚शरह विक़ाया: 
सफ़ाह नम्बर: 104

🌹उंगली से हरकत देना भी जायज़ है।
हिदाया जिल्द नम्बर: 1
सफ़ाह नम्बर:196

👉 फिक़्ह ए हनफ़ी को मान ने वाले अवाम अगर खुद से अपनी किताबों का मुत्ताला कारेंगे तभी वो दीन ए हक़ को समझेंगे ! वरना 
नहीं तो वो रोज़ी रोटी का जरिया तो बने पड़े ही है !
मेरा गुजारिश है की ( ईमाम अहमद रज़ा खान साहब की कुरआन कन्जुल ईमान )  अवाम खुद से पढ़े फिर समझ में आएगा की , कैसे फिक़्ह ए हनफ़ी में रोज़ी रोटी का जरिया अवाम ही बने हुवे है ! !!