Mazar banana kaisa hai?

कब्र/मजार पर मस्जिद बनाना या मस्जिद में कब्र/मजार बनाना मना है۞

"حَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي شَيْبَةَ، وَعَمْرٌوالنَّاقِدُ، قَالا حَدَّثَنَا هَاشِمُ بْنُ الْقَاسِمِ، حَدَّثَنَا شَيْبَانُ، عَنْ هِلاَلِ بْنِ أَبِي حُمَيْدٍ، عَنْ عُرْوَةَ بْنِ الزُّبَيْرِ، عَنْ عَائِشَةَ، قَالَتْ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فِي مَرَضِهِ الَّذِي لَمْ يَقُمْ مِنْهُ " لَعَنَ اللَّهُ الْيَهُودَ وَالنَّصَارَى اتَّخَذُوا قُبُورَ أَنْبِيَائِهِمْمَسَاجِدَ " . قَالَتْ فَلَوْلاَ ذَاكَ أُبْرِزَ قَبْرُهُ غَيْرَأَنَّهُ خُشِيَ أَنْ يُتَّخَذَ مَسْجِدًا . وَفِي رِوَايَةِ ابْنِأَبِي شَيْبَةَ وَلَوْلاَ ذَاكَ لَمْ يَذْكُرْ قَالَتْ ."۞

"सय्यिदा आइशा रजि. से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया-
"अल्लाह तआला यहुदो-नसारा पर लानत करे उन्होंने अम्बिया अल्लैहिस्सलाम की कब्रोको मस्जिदे बना लिया"उम्मुल - मोमिनींन हजरत आइशा रजि. फरमाती है,
"अगर यह अंदेशा ना होता तो आप की कब्र खुली जगह पर बनाई जाती और नुमाया रखी जाती, लेकिन डर हुआ कि इसको सज्दागाह ना बना लिया जाएं"
Reference. : Sahih Bukhari 1390
Reference : Sahih Muslim 529۞

".......فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم " إِنَّ أُولَئِكِ إِذَا كَانَ فِيهِمُ الرَّجُلُ الصَّالِحُ فَمَاتَ بَنَوْا عَلَى قَبْرِهِ مَسْجِدًا وَصَوَّرُوا فِيهِ تِلْكَ الصُّوَرَ أُولَئِكِ شِرَارُ الْخَلْقِ عِنْدَ اللَّهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ " .

۞"एक और रिवायत में है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ईसाइयो के मुतअल्लिक फ़र्माया-
"वो ऐसे लोग थे की अगर उनमे कोई सालेह और नेक मर्द होता और वो मरता तो वो उसकी कब्र पर मस्जिद बना देते और उसमे तस्वीर बनाते,कयामत के रोज ये बदतरीन मख्लूक़ होंगे"
Reference : Sahih Muslim 531

Nabiyon ,वलियों की कब्रो के सामने सर झुका कर खड़े होना या नमाज की तरह हाथ बांधे खड़े रहना,सज्दा करना या उनका तवाफ़ करना मना है۞

"......النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم قَبْلَ أَنْ يَمُوتَ بِخَمْسٍ وَهُوَ يَقُولُ " إِنِّي أَبْرَأُإِلَى اللَّهِ أَنْ يَكُونَ لِي مِنْكُمْ خَلِيلٌ فَإِنَّ اللَّهَ تَعَالَى قَدِ اتَّخَذَنِي خَلِيلاً كَمَا اتَّخَذَ إِبْرَاهِيمَ خَلِيلاً وَلَوْ كُنْتُ مُتَّخِذًا مِنْ أُمَّتِي خَلِيلاً لاَتَّخَذْتُ أَبَا بَكْرٍ خَلِيلاً أَلاَ وَإِنَّ مَنْ كَانَ قَبْلَكُمْ كَانُوا يَتَّخِذُونَ قُبُورَ أَنْبِيَائِهِمْوَصَالِحِيهِمْ مَسَاجِدَ أَلاَ فَلاَ تَتَّخِذُوا الْقُبُورَ مَسَاجِدَ إِنِّي أَنْهَاكُمْ عَنْ ذَلِكَ " .۞

"अब्दुल जुन्दुब रजि. से रिवायत है किरसूलुल्लाह (ﷺ)ने फ़र्माया -".........खबरदार! तुम से पहले के लोगअपने अम्बिया और स्वालेहीन की कब्रो को सज्दागाहें बना लिया करते थे, खबरदार !
कब्रो को सज्दागाह मत बनाना,में तुम को इससे मना करता हुँ"
Reference : Sahih Muslim 532

Qabron ko  पुख्ता बनाना,कब्रो पर इमारत तामीर करना,कब्रो को ऊँचा (एक सीमा से ज्यादा) करना मना है۞"۞

"हजरत अम्र बिन अलहारित रजि. सेरिवायत है की
'वे हजरत फादालह बिनउबैद रजि. के साथ रोमन साम्राज्य के 'रुदिस' नामक जगह पर थे,वहा पर हमारे एक दोस्त का इंतेक़ाल हो गया।तो हजरत फादालह बिन उबैद रजि.ने हमें हुक्म दिया की 'एक कब्र बनाईजाएँ और उसे समतल रखा जाए' और फिर फ़र्माया की 'मेने रसूलुल्लाह (ﷺ) से सुना की उन्होंने कब्र कोजमीन के बराबर रखने का हुक्म दिया'।"Reference : Sahih Muslim 968۞"۞"हजरत जाबिर रजि. से रिवायत है की रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पुख्ता कब्रे बनाने और और उनपर बैठने और इमारत तामीर करने से मना फ़र्माया है"
Reference : Sahih Muslim 970〰〰〰〰♻
हर कब्र जो शरीयत के ऐतबार से ऊंची हैं गिराना लाज़िमी हैं⏬⏬⏬۞"۞

"हजरत अली रजि. ने हजरत अबुल हय्याज असदी रजि. से फरमाया कि"तुम्हें उसी काम पर मै भेजता हूँ जिस काम पर अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने मुझे भेजा था वह यह कि किसी बडी ऊंची कब्र को बराबर किये बगैर न छोडो , न किसी मूरत को बगैरमिटाये रहने दो ”✨
Reference : Sahih Muslim 969