Hanafi Hazraat ke liye

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इमाम अबु हनीफा रह। ने फरमाया: -

1.लोग हमेशा बेहतरी में रहेगे जब तक उनमे कोई हदीस तलब करने वाला रहेगा।
मुकदमा आलम गिरी जिल्द 1, सफा -43

2.छोड़ दो मेरे कौल हदीस के सामने
शरह विकाया - सफा 9

3 .जब सही हदीस मिल जाएं वही मेरा मजहब है।
मुकदमा आलमगिरी जिल्द 1, सफा -120

4 .दीन में राय से बचो, सुन्नत के ताबे रहो और जो इससे बाहर गुमराही है।
मुकदमा आलम गीरी जिल्द 1, सफा -43

5 .किताब व सुन्नत में सब कुछ मौजूद है। ~ मुकदमा आलम गीरी जिल्द 1, सफा -30

6.हदीस का रद्द करने वाला गुमराह है। मुकदमा हिदाया जिल्द 1, सफा -30)

7 .हदीस इमाम के कौल पर मुकद्दम है। ~ हिदाया जिल्द 1, सफा -391 व 936

8 .जो हदीस जईफ़ है उस पर अमल न किया जायेगा।
दुर्रे मुख्तार जिल्द 1, सफा -60

9 .इमाम आजम जब बग़दाद में वारिद हुए तो एक अहले हदीस ने सवाल किया क़ि रतब (गीली खजुर) का बै य (खरीद फ़रोख्त) तमर (सुखी खजुर) से जायज है या नहीं।
दुर्रे मुख्तार जिल्द जिल्द 3, सफा -130

साबित हुआ की अहले हदीस का वजुद इमाम आजम (अबु हनीफा रह।) के दौर में था।

10 .इजमा है कि अहले हदीस अहले सुन्नत वल जमात से है और हक़ पर है उनकी इक्तिदा हनफ़ी को जायज है।
हिदाया जिल्द 1, सफा -3 व 12

11 .आफत तक़लीद से पड़ी है।
दूर्र मुख्तार जिल्द 1, सफा -50 हिदाया जिल्द 1, सफा -3 व 12

12 .फ़सअलू अहलज जिक्रे इन कुन्तुम ला तअलमून से मुराद कुरआन व हदीस का हुक्म दरियाफ्त करना है। लोगों की बातें मान लेने का हुक्म नहीं है।
मुकदमा आलमगीर जिल्द 1, सफा -13

13 .जो नबियों की किसी सुन्नत को ना पसंद करे वह काफ़िर है।
दुर्रे मुख्तार जिल्द -2, सफा -553

14 .जो सुन्नत को हकीर जाने वो काफिर है।
दुर्रे मुख्तार जिल्द 1, सफा -128, हिदाया जिल्द 1, सफा -541

15 .यहूदी व नसारा अपने मौलवी और दरवेशों का कहना मानते थे इसलिए अल्लाह ने उन्हें मुशरिक फ़रमाया मौमिन को हुक्म किया कि लोगों के कौल मत पूछो बल्कि ये पूछो कि अल्लाह का हुक्म क्या है।
मुकदमा आलमगीर जिल्द 1, सफा -13

16 .जो सुन्नत को हलकी जानकार तर्क कर दे वह काफ़िर है।
मुकदमा हिदाया जिल्द 1, सफा -77

17 .नीयत ज़बान से करना बिदअत है।
दुर्रे मुख्तार जिल्द 1, सफा -49, हिदाया जिल्द 1, सफा -22

18 .गर्दन का मसह बिदअत है और इसकी हदीस मौजू है।
दुर्रे मुख्तार जिल्द 1, सफा -58

19 .नाफ़ के नीचे हाथ बांधने की हदीस बइत्तेफ़ाक़ अइम्मा मुहद्दसीन जईफ़ है। ~ हिदाया जिल्द 1, सफा -350

🔗20 .सीने पर हाथ बांधने की हदीस बइत्तेफाक अइम्मा मुहद्दसीन सही है। शरह विकाया सफा -93

🔗21 .इमाम के पीछे सूरह फातिहा न पढ़ने की हदीस जईफ़ है।
~ शरह विकाया 108 व 109

22 .हदीस आमीन बिजहर (बा आवाज़) की साबित है।
~ हिदाया जिल्द 1, सफा -365, शरह विकाया, सफा -97

23.तस्दीक रफेयदेन रूकू के पहले व रुकु के बाद।
~ हिदाया जिल्द 1, सफा -384

24 .बेहकी की रिवायत में इब्ने उमर रजि। से आखिर में है कि यही आप सल्ल। की नमाज रफेयदेंन रही यहाँ तक क़ि अल्लाह ताला से जा मिले.यह हदीस सही सनद से है।
हिदाया जिल्द 1, सफा -384

25 .रफेयदेन न करने की हदीस जईफ़ है | ~ शरह विकाया, सफा -102

26 .हक़ यह है कि मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) से रफेयदेन सही साबित है।
~ हिदाया जिल्द 1, सफा -386

27 .इंन्कसारी के लिए सर खोलकर नमाज पढ़ना दुरुस्त है।
~ दुर्र मुख्तार जिल्द 1, सफा -299

28 .तरावीह 20 रकात की हदीस जईफ़ है।
~ दुर्रे मुख्तार जिल्द -1 सफा -326, हिदाया जिल्द -1 सफा 563, शरह, विकाया सफा -133

29 .तरावीह आठ 8 रकअत की हदीस सही है।
~ शरह विकाया सफा -123

30 .तरावीह सही हदीस से मय वित्र के 11 रकअत साबित है।
~ हिदाया जिल्द 1, सफा -563, शरह विकाया सफा -133

31 .नमाजे जनाजा में अलहम्दो पढ़ना अक्सर आलिमो के नजदीक जायज है।
~ दुर्रे मुख्तार जिल्द 1, सफा -411

32 .मुसाफा एक हाथ से करना अक्सर रिवायत सहीहा से साबित है।
हिदाया जिल्द 4, सफा -293

33.अत्तहियात में ऊँगली से हरकत देना भी जायज है। ~ हिदाया जिल्द 1, सफा -396